सरदार सेना का गठन 31 दिसम्बर 2017 को सरदार पटेल सेवा संस्थान इलाहाबाद के मैदान में मनाए गये सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के महापरिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम में लगभग 25 हजार की संख्या में मौजूद सरदारवादी किसानों के सामने सरदारवादी विचारधारा प्रेरक डा. आर. एस. पटेल जी एवं सरदारवादी चिंतकों द्वारा किया गया।
अधिक पढ़ेंवर्तमान आरक्षण व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने हेतु जिसकी जितनी संख्या भारी ,उतनी उसकी हिस्सेदारी के आधार पर आरक्षण व्यवस्था की स्थिति सुनिश्चित कराने.
देश में किसानो के सम्पूर्ण विकास ,ख़ुशहाली और सामाजिक असमानता को दूर कर कृषि को उधोग का दर्जा दिलाने हेतु कृषि आयोग का गठन की मांग.
सरकार द्वारा युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने व युवाओं को सशक्त बनाने हेतु संघर्ष का वादा.
राष्ट निर्माता, किसानों के नेता, भारत रत्न, लौह पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल एवं संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीम राव अम्वेडकर जी के सपनों का भारत बनाने हेतु सरदार सेना का गठन 31 दिसम्बर 2017 को सरदार पटेल सेवा संस्थान इलाहाबाद में आयोजित सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के महापरिनिर्वाण दिवस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में मौजूद सरदारवादी किसानों के समक्ष सरदारवादी विचारधारा प्रेरक डा. आर. एस. पटेल एवं सरदारवादी चिंतकों द्वारा किया गया। राष्ट्र निर्माण में उनके द्वारा किये गये कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरदारवादी विचारधारा का जन्म हुआ है। सरदारवादी विचारधारा यानी सरदार पटेल जी के विचारों को आत्मसात कर समाज को अखंड बनाने वालों का समूह है जो सम्पूर्ण रूप से अराजनैतिक व सामाजिक संगठन है।
आजादी के बाद से आज तक किसानों, कमेरों, दलितों, पिछडों के सम्पूर्ण विकास हेतु किसी भी सरकार ने कोई खाका नही खींचा बल्कि ऊंच-नीच की खाई को बढ़ा दिया। आज समाज का एक वर्ग ऊचाइयों पर है तो दूसरे वर्ग के सामने रोजी-रोटी की संकट है। आज भी देश मे लाखों परिवार अपनी आजीविका के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लाचारी का आलम तो अब ऐसी है कि कई राज्यों में तो सामूहिक आत्महत्या की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं। यह असमानता तब तक दूर नही की जा सकती जब तक प्रत्येक जाति को उसकी जनसंख्या के आधार पर सम्पूर्ण भागीदारी नही मिल जाय।
वर्तमान केन्द्र व राज्य की सामंतवादी सरकारें किसानों एवं कमेरा समाज को सब्जवाग दिखाकर केन्द्र व राज्यों मे खुद को स्थापित करने के लिए दलितों, पिछडों के हक एवं अधिकार वाले आरक्षण को समाप्त करने का कुचक्र रच रहे हैं। मौजूदा सामंतवादी सरकारें संविधान समीक्षा के बहाने हजारों साल पीछे वाला राजतंत्र (हिटलरशाही) लागू करना चाहते है। जिससे सम्पूर्ण कमेरा समाज पुन: सामंतवादी ताकतों का गुलाम बन जाये। आज बडे दुख के साथ कहना पड़ता है कि लोकसभा और विधानसभा में पिछड़े व दलित समाज के तमाम विधायक व सांसद होते हुए भी सम्पूर्ण कमेरा समाज के हक की कोई आवाज नही उठती, आखिर क्यों?
आईए हम सभी साथी सरदार सेना के साथ मिलकर अपने हक एवं अधिकारों के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ें। यह लड़ाई आजादी की दूसरी लड़ाई होगी जो सच में कामेरों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचायेगी, क्योंकि आज हम नहीं जागे तो आने वाले दिनों में हमारे बच्चों के भविष्य के लिए न तो उपयुक्त खेती होगी नही उपयुक्त नौकरी होगी तो अंजाम बहुत भयावह होगा। आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।